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मरू सागर

सोमवार, 29 मार्च 2010

प्रेम जनमेजय: वसंत, तुम कहां हो?

प्रेम जनमेजय: वसंत, तुम कहां हो?
प्रस्तुतकर्ता फारूक आफरीदी पर 11:50 am कोई टिप्पणी नहीं:
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मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
फारूक आफरीदी
A writer, poet, journalist, interviewer, Satirist, feature writer. सूर्य नगरी जोधपुर में 24 दिसम्‍बर, 1952 को जन्‍मा। छठी कक्षा में पहला लेख लिखा, जिस पर पुरस्‍कार मिला। आठवीं तक आते-आते कविताएं कागज पर उतरने लगीं। तब प्रेम की परिभाषा तो नहीं जानता था, लेकिन वो अगर प्रेम था तो कविताओं में प्रस्‍फुटित हुआ। जवानी की दहलीज पर आते ही त्रासदियों ने आ घेरा और जिंदगी की सच्‍चाइयों और विषमताओं ने कलम को व्‍यंग्‍य की ओर मोड़ दिया। कविता मेरी पहली पसंद और व्‍यंग्‍य मेरा साथी है। जब भी कागज पर इन्‍हें उकेर लेता हूं तो मन खिल-खिल उठता है। यह रचना यात्रा 1968 से मुसलसल जारी है। किसी के आंसू जब ढलकते हैं तो उन्‍हें अपने शब्‍दों में सहेजने की कोशिश करता हूं। सांस्‍कृतिक परिवेश मुझे बांधे रखता है और मैं हर वक्‍त उसी में डूबता-उतरता रहता हूं।
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